नई दिल्ली। मुंह में राम बगल में छुरी। चीन इस कहावत को चरितार्थ करते दिख रहा है। एक तरफ तो वह पूर्वी लद्दाख स्थित वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) का उल्लंघन कर रहा है, लेकिन दूसरी तरफ भारत की सदस्यता वाले ब्रिक्स संगठन के तहत ऐसा समझौता करने जा रहा है जिसमें एक-दूसरे की संप्रभुता के पालन का वादा होगा। गुरुवार को ब्राजील, रूस, भारत, चीन व दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों (एनएसए) के बीच वर्चुअल बैठक में इस भावी समझौते के प्रारूप को स्वीकृति दी गई।
भारत के एनएसए अजीत डोभाल इसमें शामिल हुए, जबकि चीन का प्रतिनिधित्व वहां की कम्युनिस्ट पार्टी के एक वरिष्ठ नेता व एनएसए यांग यिची ने किया। ब्रिक्स देशों के बीच होने वाला यह समझौता आतंकवाद के खिलाफ कड़ेृ कदम उठाने व आपसी सहयोग बढ़ाने को लेकर होगा। पांचों देशों ने मिलकर इसके लिए आतंकवाद रोधी रणनीति का ड्राफ्ट तैयार किया है।
इस ड्राफ्ट रणनीति में एक-दूसरे की संप्रभुता का आदर करना और एक-दूसरे के आंतरिक मामलों में दखलंदाजी नहीं करने का वादा भी शामिल है। साथ ही सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर सभी अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पालन करने व संयुक्त राष्ट्र की तरफ से बनाए नियमों के तहत उन्हें सुलझाने की बात भी है। जल्द ही ब्रिक्स देशों की शिखर बैठक में इसे मंजूरी के लिए पेश किया जाएगा।
गुरुवार की बैठक में सूचना प्रौद्योगिकी से जुड़े सुरक्षा मुद्दों को लेकर भी चर्चा हुई। यह मुद्दा भी भारत व चीन के आपसी रिश्तों से जुड़ा हुआ है। हाल ही में यह खबर आई है कि चीन की एक कंपनी भारत के प्रतिष्ठित लोगों की जासूसी कर रही थी। इस मुद्दे को नई दिल्ली में भारत ने चीनी दूतावास के अधिकारी को बुलाकर उठाया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि इस पर आगे जांच के लिए एक समिति गठित की गई है।
उल्लेखनीय है कि बीते मंगलवार को शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के सदस्यों की अहम बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने हिस्सा लिया था। उस वर्चुअल बैठक में पाक प्रतिनिधि के पीछे जो नक्शा लगा था उसमें पूरा कश्मीर पाकिस्तान में दिखाया गया था। डोभाल ने इस पर आपत्ति जताई और बैठक को बीच में ही छोड़ कर पाकिस्तान को करारा जवाब दिया था।