नई दिल्ली। तीन कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त की गई तीन सदस्यीय कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट को बंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट जमा कर दी है। समाचार एजेंसी एएनआइ के अनुसार कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस मामले का हल निकालने के लिए करीब 85 किसान संगठनों से बात की गई है। बता दें कि केंद्र और किसान संगठनों के बीच नए कृषि कानूनों को लेकर गतिरोध जारी है। किसान पिछले 28 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं। इसे लेकर केंद्र और किसान संगठनों के बीच कई दौर की वार्ता भी हुई, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल सका।
सुप्रीम कोर्ट ने गत जनवरी में कृषि कानूनों के अमल पर अगले आदेश तक रोक लगा दी थी और इस कमेटी का गठन किया था। कमेटी में कृषि विशेषज्ञ और शेतकारी संगठन से जुड़े अनिल धनवट, अशोक गुलाटी और प्रमोद जोशी शामिल हैं। समाचार एजेंसी आइएएनएस से बात करते हुए, अनिल घनवट ने पुष्टि की कि समिति ने रिपोर्ट सौंप दी है, लेकिन इससे जुड़ा कोई विवरण नहीं दिया। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट तब तक सार्वजनिक नहीं होगी जब तक मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे इसपर सुनवाई और चर्चा शुरू नहीं करते। मामले में सुनवाई 5 अप्रैल के बाद होने की उम्मीद है जब अदालत होली की छुट्टी के बाद फिर से खुल जाएगी। समिति ने दो महीने के लिए तीन कृषि कानूनों पर कई किसान संगठनों के साथ विचार-विमर्श किया।
किसान संगठनों और सरकार के बीच 11 दौर की वार्ता
बता दें कि किसान संगठन नए कृषि कानूनों को किसान विरोधी बता रहे हैं और इसकी वापसी की मांग पर अड़े हुए हैं। वहीं केंद्र सरकार इसे किसानों के लिए हितकारी बता रही है। दोनों पक्षों के बीच गतिरोध को सुलझाने के लिए कई दौर की वार्ता हो चुकी है। दोनों पक्षों के बीच 11 दौर की वार्ता हुई है। 22 जनवरी को दोनों के बीच अंतिम बार वार्ता हुई थी। यह बगैर किसी नतीजे के समाप्त हो गई थी। किसी भी दौर की वार्ता सफल नहीं हुई।