फारूक अब्दुल्ला के चीन प्रेम पर फूटा गुस्सा, सियासी और सामाजिक संगठनों ने पूछा- यह बौखलाहट क्यों?

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जम्मू। जम्मू-कश्मीर की सियासत में हाशिये की ओर जा रही नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के अध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुल्ला के चीन मोह पर जम्मू-कश्मीर में अब आक्रोश फूटने लगा है। विभिन्न सियासी और सामाजिक संगठन आरोप लगा रहे हैं कि नेकां का राष्ट्र विरोधी चेहरा फिर से सबके सामने आ रहा है। बेहतर होता कि वह चीन की हकीकत को समझ पाते। ऐसे में भाजपा ने नसीहत दे डाली है कि जम्मू-कश्मीर किसी की जागीर नहीं है।

अब्दुल्ला ने अनुच्छेद-370 पर चीन के सहयोग का किया था दावा

यहां बता दें कि फारूक अब्दुल्ला ने एक बार फिर अनुच्छेद-370 के राग को उठाते हुए चीन की मदद से पुरानी व्यवस्था को बहाल करने का दावा किया है। फारूक ने एक माह में दूसरी बार चीन का सहारा लेकर विवादित बयान दिया है। उन्होंने मीडिया समूह से बातचीत में कहा कि उम्मीद है कि चीन के समर्थन से अनुच्छेद-370 को फिर बहाल किया जा सकता है। यहां तक कि उन्होंने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव का कारण भी अनुच्छेद-370 को हटाया जाना बता दिया है।

सियासी दुकान हुई बंद तो अपनाने लगे हथकंडे

उनके बयान पर सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कहा कि अनुच्छेद-370 के खात्मे के बाद कश्मीर की सियासत में आए बदलाव का असर साफ दिख रहा है और अपनी सियासी दुकान बंद होते देख यह नेता ऐसे हथकंडे अपना रहे हैं। इस बौखलाहट का क्या कारण है?

खयाली पुलाव न पकाएं फारूक अब्दुल्ला

फारूक को आड़े हाथों लेते हुए प्रदेश भाजपा के प्रधान रविंद्र रैना ने कहा कि जम्मू-कश्मीर किसी के बाप-दादा की जागीर नहीं है, यह हमारी मातृभूमि है। फारूक चीन का सहारा लेना बंद कर दें और खयाली पुलाव न पकाएं। जल्द ही पाकिस्तान और चीन से कश्मीर की कब्जाई हुई जमीन वापस ली जाएगी। वहीं, कांग्रेस ने उनके इस बयान पर चुप्पी साध ली है।

सामाजिक कार्यकर्ता एडवोकेट शेख शकील ने कहा कि फारूक अब्दुल्ला सियासी फायदे के लिए इस तरह के बयान दे रहे हैं। भले ही सियासी दलों में कितने भी मतभेद हों लेकिन राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर हमें एक होना चाहिए। वह कई महीने हिरासत में रहे हैं। इसका यह मतलब नहीं है गैर जिम्मेदाराना बयान दें।

सामाजिक कार्यकर्ता प्रो. हरि ओम ने कहा कि फारूक अब्दुल्ला सांसद होते हुए भी देश विरोधी बयान दे रहे हैं। उन्हें पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत हिरासत में लेना चाहिए। कश्मीर के हालात के लिए फारूक जैसे नेता ही जिम्मेदार हैं। इन्होंने लोगों की भावनाओं से हमेशा खिलवाड़ किया। केंद्र सरकार को इसे गंभीरता से लेने की जरूरत है।