भोपाल । सियासी घटनाक्रम के बीच रविवार को मंत्रालय में हुई कैबिनेट बैठक में कोरोना वायरस की वजह से मध्यप्रदेश विधानसभा का बजट सत्र स्थगित करने को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई। बैठक में मंत्रियों ने एक सुर में मुख्यमंत्री कमलनाथ को कोई भी फैसला लेने के लिए अधिकृत कर दिया।
जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा ने आरोप लगाया कि बेंगलुर में कांग्रेस विधायकों को बंधक बनाकर रखा गया है। विमान में बैठने के बाद उन्हें उतारकर रिसॉर्ट ले जाया गया। इससे उनकी मनोदशा समझी जा सकती है। उन्होंने राज्यपाल लालजी टंडन से बंधक विधायकों को मुक्त करवाने के लिए कदम उठाने की मांग की है।
कैबिनेट बैठक के बाद जनसंपर्क मंत्री ने कहा कि कोरोना वायरस की वजह से विधानसभा का सत्र स्थगित करने का फैसला कैबिनेट में नहीं लिया जा सकता है, इस पर विधानसभा में ही कोई निर्णय हो सकता है। बैठक में अधिकारियों ने प्रस्तुतिकरण के जरिए जिन राज्यों में कोरोना वायरस की वजह से विधानसभा स्थगित की गई हैं, उनका ब्योरा जरूर दिया है।
सामान्य प्रशासन मंत्री डॉ. गोविंद सिंह और उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी ने मुख्यमंत्री को इस बारे में फैसला लेने के लिए अधिकृत करने की बात रखी, जिसका सभी ने समर्थन किया। शर्मा ने आरोप लगाया कि विधायकों को बंधक बनाए जाने के बाद भाजपा फ्लोर टेस्ट की मांग कर रही है। सरकार पहले भी तीन बार फ्लोर टेस्ट दे चुकी है, जिसमें भाजपा को मुंह की खानी पड़ी है। इस बार भी ऐसा ही होगा। फ्लोर टेस्ट कब होगा, यह तय करने का अधिकार विधानसभा अध्यक्ष का है।
विधायकों पर तंत्र-मंत्र या सम्मोहन किया गया
शर्मा ने कहा कि बेंगलुर में बंधक विधायकों के जिस तरह के वीडियो सामने आ रहे हैं, उससे यह लगता है कि उन पर तंत्र-मंत्र या सम्मोहन किया गया है। सबके चेहरे देखकर यह अंदाजा लगाया जा सकता है। बंधक विधायकों को लेकर रिपोर्ट कराए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखा है कि विधायकों को बंधक बनाकर रखा गया है। इससे बड़ी रिपोर्ट क्या हो सकती है। जनसंपर्क मंत्री ने कहा कि सत्र सोमवार से शुरू हो रहा है। इसमें कई बार फ्लोर टेस्ट के मौके आते हैं। सरकार के पीछे हटने का कोई सवाल ही नहीं है।