PM Care Fund: कांग्रेस ने फैसले को बताया पारदर्शिता के लिए झटका, कहा- ब्यौरा देने से डर कैसा

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नई दिल्ली। पीएम केयर्स फंड (PM Care Fund) को लेकर उठ रहे राजनीतिक विवादों के बीच सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि यह राष्ट्रीय आपदा राहत कोष (National Disaster Response Fund- NDRF) से अलग है। यह सरकार तय करती है कि किसे किस तरह से मदद करनी है। ऐसे में पीएम केयर्स फंड की रकम राष्ट्रीय आपदा राहत कोषष में स्थानांतरित करने की मांग नहीं मानी जा सकती है। कांग्रेस ने कहा कि पीएम केयर्स फंड के बारे में सुप्रीम कोर्ट का फैसला जनता के प्रति सरकार की पारदर्शिता और जवाबदेही के लिए झटका है।

पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया कि शासकों की मतदाताओं के प्रति जिम्मेदारी एवं जवाबदेही के संदर्भ में यह एक दुखद दिन है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का मानना रहा है कि सूर्य का प्रकाश सर्वश्रेष्ठ कीटाणुनाशक है, लेकिन इस फैसले से साबित होता है कि वह अपनी परंपरा से हट गया है। उसने पीएम केयर्स फंड को लेकर सवालों का जवाब हासिल करने का मौका गंवा दिया है।

पीएम केयर्स फंड का ब्योरा देने में किस बात का डर : खेड़ा

कांग्रेस के एक अन्य प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि यह पीएम का निजी फंड नहीं है। ऐसे में इसका ब्यौरा देने से डर कैसा। ये क्यों नहीं बताना चाहते कि पैसा कितना और कहां-कहां से आया। खेड़ा ने कहा कि सरकार और भाजपा पीएम केयर्स फंड का ब्योरा पूछने पर चुप हो जाते हैं और राजीव गांधी फाउंडेशन की बात करते हैं। वहीं संघ अपने रजिस्ट्रेशन के कागज नहीं दिखा पाता। वह आयकर भी नहीं फाइल करता है।

महामारियों के लिए कोष का उपयोग

न्यायमूर्ति अशोक भूषषण, आर सुभाषष रेड्डी और एमआर शाह की पीठ ने सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन संस्था की याचिका खारिज करते हुए कहा कि एनडीआरएफ और एसडीआरएफ (स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फंड) के गठन और प्रशासन के लिए जारी दिशा-निर्देशों में कोष का उपयोग सीमित महामारियों के लिए था। उन महामारियों में जैविक और पब्लिक हेल्थ इमर्जेसी शामिल नहीं थी। 14 मार्च, 2020 को जारी अधिसूचना से कोरोना को अधिसूचित महामारी माना गया, ताकि एसडीआरएफ के तहत मदद मुहैया कराई जा सके। अधिसूचना से पहले कोई व्यक्ति कोरोना जैसी जैविक और सार्वजनिक स्वास्थ्य आपदा के लिए एनडीआरएफ में दान नहीं दे सकता था।