भोपाल। कमलनाथ सरकार का एक साल बीतने के बावजूद भी आर्थिक हालात संभल नहीं पाए हैं। सरकार के सामने वचनों को पूरा करने के लिए आर्थिक दिक्कतें सबसे बड़ी चुनौती है। खास बात ये कि अभी कांग्रेस सरकार पिछली भाजपा सरकार की घोषणाओं व बकाया के भंवर से ही नहीं उबर पाई है।
आठ हजार करोड़ से ज्यादा का बोझ
दरअसल, चुनावी साल 2018 में तत्कालीन भाजपा सरकार ने जमकर घोषणाएं की थी, जिसका बोझ अब कांग्रेस सरकार को उठाना पड़ रहा है। उस समय केंद्र की देनदारियों को रोकर राज्य में पैसा खर्च किया गया। इससे कांग्रेस सरकार को पिछली भाजपा सरकार की देनदारियों व घोषणओं के मामले में ही आठ हजार करोड़ से ज्यादा का बोझ उठाना पड़ रहा है। ये
सरकार पीछे नहीं हट सकती
ऐसी देनदारियां और घोषणाएं हैं, जिनसे सरकार पीछे नहीं हट सकती। इस कारण अपने वचनों से पहले दूसरे की घोषणाओं का बोझ चुनौती बना हुआ है। इसमें संबल योजना के तहत माफ कर दिए गए 2431 करोड़ रुपए भी हैं, तो केंद्र को देने की बजाए रोक लिए गए फसल बीमा के 1860 करोड़ भी हैं। ऐसे करीब एक दर्जन मद की घोषणाएं व बकाया अब कांग्रेस सरकार के लिए भारी पड़ रहे हैं।
यूं जानिए घोषणाओं का बोझ-
– मक्का व सोयाबीन के लिए प्रोत्साहन राशि की घोषणा। मक्का के लिए 637 करोड़ और सोयाबीन के लिए 1033 करोड़ वर्ष-2018-19 के बजट में होना थे, पर कोई बजट प्रावधान नहीं।
– पंजीकृत श्रमिकों एवं कर्मकारों के लिए संबल योजना में घरेलू कनेक्शन पर 200 रुपए में बिजली की घोषणा। इसके लिए 999 करोड़ की जरूरत थी, बिजली कंपनियों को सिर्फ 50 करोड़ दिए।
– संबल में ही श्रमिकों, कर्मकारों व बीपीएल उपभोक्ताओं के घरेलू कनेक्शन पर जून 2018 में बकाया बिल माफ का ऐलान। मुख्यमंत्री बकाया बिल माफी स्कीम की घोषणा की। इसके लिए 2431 करोड़ रूपए लगना थे, पर केवल 80 करोड़ का बजट प्रावधान किया।
– पीएम फसल बीमा योजना में वर्ष 2017-18 में रबी के लिए 165 करोड़ और खरीफ के लिए 2018 में 1695 करोड़ का राज्य शेयर नहीं चुकाया। इससे कुल 1860 करोड़ का बोझ नई सरकार पर आया।
– उच्च शिक्षा विभाग के अतिथि शिक्षकों के मानदेय में वृद्धि की घोषणा की गई, इस पर सालाना 225 करोड़ की जरूरत थी। पिछली भाजपा सरकार महज 45 करोड़ का प्रावधान करके गई।
– पिछली भाजपा सरकार ने अध्यापक संवर्ग को सातवें वेतनमान दिए जाने की घोषणा की गई, जिसके लिए पहली किश्त में ही 775 करोड़ एरियर लगना थे, लेकिन कुछ भी बजट प्रावधा नहीं किया।
– सिंहस्थ 2016 में लगाए गए होमगाड्र्स को घोषणा की गई कि होमगार्ड को निरंतर किया जाएगा। लेकिन, 2017-18 व 2018-19 में से किसी वित्तीय वर्ष में कोई बजट नहीं रखा।
कर्जमाफी सहित सभी वचन प्रभावित-
आर्थिक मोर्चे पर संकट के हालात के कारण कांग्रेस सरकार के लिए किसान कर्ज माफी सहित अन्य वचनों को पूरा करना मुश्किल हुआ है। इसी कारण कांग्रेस ने सत्ता में आने के बाद वचनों को वित्तीय खर्च और बिना वित्तीय खर्च वाली श्रेणी बनाकर पूरा करना तय किया है। इसमें सबसे पहले उन वचनों को पूरा किया जा रहा है, जिन पर कोई वित्तीय खर्च नहीं आना है। वित्तीय संकट के बावजूद सरकार ने एक साल के 365 दिन में 365 वचनों को पूरा करने का दावा किया है।
इनका कहना-
पिछली भाजपा सरकार ने घोषणाएं तो खूब की, लेकिन उनके लिए कोई बजट प्रावधान नहीं किया। जनता को धोखा देकर भाजपा खाली खजाना और घोषणाओं का बोझ छोड़ गई है। अब उनकी घोषणाओं को पूरा करने के लिए हमें इंतजाम करने पड़ रहे हैं। इसी कारण कांग्रेस के वचनों को पूरा करने में कुछ देरी हुई है, लेकिन हम अपना हर वचन पूरा करेंगे।
तरूण भनोत, मंत्री, वित्त विभाग, मप्र