नई दिल्ली । भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक और अंग्रेजों का डटकर सामना करने वाले स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आजाद का 89वां शहादत दिवस है। हर साल 27 फरवरी को आजाद के इस बलिदान को शहादत दिवस के तौर पर मनाया जाता है। चंद्रशेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई, 1906 को एक आदिवासी ग्राम भाबरा में हुआ था। गुरुवार को शहादत दिवस के मौके पर गृह मंत्री अमित शाह ने भी चंद्रशेखर आजाद को याद किया।
अमित शाह ने ट्वीट करते हुए कहा, ‘चंद्रशेखर आजाद जी भारतीय इतिहास व हमारे स्वतंत्रता आंदोलन के वो स्वर्णिम अध्याय हैं जिसके स्मरण मात्र से ही आज भी हर भारतीय के हृदय में असीम गौरव का भाव जागृत होता है। मातृभूमि के लिए उनकी श्रद्धा, त्याग और बलिदान हमारे लिए सदैव प्रेरणा का स्रोत रहेगा। उन्हें शत-शत नमन।’ इसके साथ ही उन्होंने एक तस्वीर को भी साझा किया, जिसमें उन्होंने कहा कि आजाद अंग्रेजी शासन के आगे कभी नहीं झुके। बता दें कि आजाद ने वादा किया था कि उन्हें अंग्रेज कभी जिंदा नहीं पकड़ सकेंगे।
बता दें कि फरवरी 1931 में आजाद इलाहाबाद में जवाहर लाल नेहरू से मिलने आनंद भवन गए थे। लेकिन वहां पर नेहरू ने उनसे मिलने से इंकार कर दिया था। इसके बाद वह गुस्से में वहां से एल्फ्रेड पार्क चले गए। इस वक्त उनके साथ सुखदेव भी थे। वे आगामी रणनीति तैयार कर रहे थे, तभी किसी मुखबिर की सूचना पर वहां अंग्रेजों की एक टुकड़ी ने उन्हें चारों तरफ से घेर लिया।
आजाद ने तुरंत खतरा भांपते हुए सुखदेव को वहां से सुरक्षित निकाल दिया और अंग्रेजों पर फायर कर दिया। लेकिन जब उनके पास आखिरी एक गोली बची तो उन्होंने उससे खुद के प्राण लेकर अपनी कथनी को सच साबित कर दिया था। एल्फ्रेड पार्क में 27 फरवरी 1931 को उनके दिए इस बलिदान को भारत कभी नहीं भुला पाएगा।